ها أنذا الآن أعترف أنه أصبح مِلكاً لكِ | |
وأنني أصبحتُ عبدا لرغبتك، | |
سأضع نفسي رهينة، حتى تستطيع نفسي الأخرى | |
أن تستعيدك لتكوني لي النعيم المقيم: | |
. | |
لكنك لن توافقي، ولا هو يريد أن يعود حرا، | |
لأنك تشتهين ما ليس لك، ولأنه ليّن العريكة؛ | |
لقد أراد أن يحميني، فاتخذ مكاني لديك | |
تحت ذلك العقد الذي سرعان ما شد وثاقه إليك. | |
. | |
ستتخذين من جمالك الأداة التي تستخدمينها، | |
مثل المرابي الذي يطلب أقصى فائدة لما يقدمه، | |
ثم تقاضين الصديق الذي صار مدينا من أجلي، | |
وهكذا أفقده لموقفي غير المترفق به. | |
. | |
لقد أضعتُ صديقي، أما أنتِ فقد أَخَذْتِنا معا هو وأنا؛ | |
إنه يدفع كل شيء، ورغم ذلك فما زلتُ أنا مُرتَهَنا. | |
* | |
ترجمة: بدر توفيق | |
CXXXIV | |
So now I have confessed that he is thine, | |
And I my self am mortgaged to thy will, | |
Myself I'll forfeit, so that other mine | |
Thou wilt restore to be my comfort still: | |
But thou wilt not, nor he will not be free, | |
For thou art covetous, and he is kind; | |
He learned but surety-like to write for me, | |
Under that bond that him as fast doth bind. | |
The statute of thy beauty thou wilt take, | |
Thou usurer, that put'st forth all to use, | |
And sue a friend came debtor for my sake; | |
So him I lose through my unkind abuse. | |
Him have I lost; thou hast both him and me: | |
He pays the whole, and yet am I not free |
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احساس مجروح
السبت، 23 أكتوبر 2010
وليم شكسبير / William Shakespeare >> سونيت 134
مرسلة بواسطة
فرسان
في
2:31 م
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